ओ झील तुम शहर की सुंदरता थीं
तुम्हारी लहरें तुम्हारे लहराते बाल
तुम थीं लहराती
तुम थीं वक्त की दोस्त
तुमने ओढ़ी थी हरियाली की चुनर
तुम्हारे किनारों पर थी फुलकारी गोट
अब मैं गवाह हूँ
एक शहर की सबसे बड़ी त्रासदी का
मेरा दुख है मेरे आँसुओं से
तुम्हारे किनारों पर कुछ पैदा नहीं होता